वी आर वन रेयूकाई सुकार्य का परिचय
वी आर वन रेयूकाई सुकार्य का शाब्दिक अर्थ है। हम सब एक है, आध्यत्मिक बंधुत्व का समाज जो च्छा कर्म कर अपने दैनिक जीवन में लागु करने वाला शिक्षा है। { वी आर वन का अर्थ है हम सब एक है। रे का अर्थ है आध्यत्मिक यू -का अर्थ बंधुत्व और काई -का अर्थ है समाज सुकार्य अर्थ अच्छा कर्म }इस का अर्थ है हम सब एक हैआध्यत्मिक बंधुत्व का समाज का निर्माण जो जीवन जीने की एक व्यावहारिक पद्धति है। जो अभी के आधुनिक समाज की मांगों को पूरा करती है। वी आर वन रेयूकाई सुकार्य शिक्षा का दर्शन शास्त्र आज से लगभग तिन हजार साल पूर्व जन्मे बुद्ध द्वारा दी गयी शिक्षाओं पर अधारित है। भगवान बुद्ध इस महत्वपूर्ण प्रश्न से चिंतित नहीं थे कि इस विश्व की उत्पति कैसे हुई है. क्योंकि उन्हें मालूम था कि इस प्रश्न का उत्तर मानव जाति की मूल समस्याओं को सुधारने का प्रयत्न तो करते हैं। परन्तु इसके लिये पर्याप्त दिशा नहीं खोज पाते है। बुद्ध ने ये भी अनुभव किया कि इस प्रश्न का उत्तर मानव जाति के मूल समस्या का कोई भी व्यावहारिक समाधान प्रदान नहीं करेगा। इसके विपरीत भगवान बुद्ध जन मानस के व्याप्त पीड़ा तथा दुःखों को दूर करने के लिये अधिक तत्पर थे ।उन्होंने देखा कि मनुष्यों में व्याप्त अज्ञानता और अन्भिगता ऐसी इच्छाओं को जन्म देती है ,जिसकी मनुष्य को कोई आवश्यकता नहीं है। या यूं कहिये कि जो उनके लिये अहित हैं एवं इसी अज्ञानता के कारण मनुष्य स्वयं को, एक दूसरे को तथा इस संसार को धुंधली नजरो से देखता है। यह अनिभिज्ञता उन लोगों के लिये अधिक पीड़ादायक होती है जो कि स्वयं भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त किया उसी प्रकार कोई भी अन्य व्यक्ति उस ज्ञान को प्राप्त कर सकता है, शाक्यमुनि बुद्ध समझ पाये कि ज्ञान व विवेक से ही मानव की अंतर मन की पीड़ा को शांत एवं शमन किया जा सकता है। उनकी शिक्षा का सार इस भाव में निहित है सभी मानव अपने जीवन को सुधार सकते हैं, और उनको चाहिए सदैव नये नये अनुभवों से सीखते रहने की प्रबल इच्छा की। सभी मानव अपने इन्हीं अनुभवों के आधार पर एक दूसरे के प्रति अधिक दयालु होकर स्वयं अपनी व दूसरों की दुःख और पीड़ा कम कर सकते हैं।